Uttarakhand में लगातार बढ़ रही आपदा प्रभावित गांवों की संख्या, सैकड़ों परिवारों को है विस्थापन का इंतजार

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Uttarakhand landslide उत्तराखंड में हर वर्षाकाल में भूस्खलन प्रभावित गांवों की संख्या बढ़ जाती है। सभी प्रभावित गांवों की रिपोर्ट शासन को भेजी गई है। चमोली जिले में 12 गांव भूस्खलन की जद में हैं। इसके अलावा जोशीमठ शहर भी भूधंसाव से जूझ रहा है। कई ऐसे गांव हैं जो विस्थापन का इंतजार कर रहे हैं। परिवार भय में अपनी रातें बिता रहे हैं।

आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में आपदा प्रभावित गांवों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। गढ़वाल मंडल में ही यह संख्या लगातार बढ़ रही है।इसके उलट आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की गति तेजी नहीं पकड़ पाई। अब तक कई ऐसे गांव हैं जिन्हें विस्थापन का इंतजार है।

उत्तरकाशी में अभी 57 गांवों के करीब 800 परिवारों को विस्थापन की जरूरत है। इन गांवों में खतरे के आकलन को कई बार सर्वे हो चुके हैं, लेकिन बात इससे आगे नहीं बढ़ पाई। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल का कहना है कि पिछले 10 वर्ष में 210 परिवारों को विस्थापित किया गया है। ओल्या के छह, नरियोका व छामरोली के 10 परिवारों के विस्थापन की प्रक्रिया गतिमान है।

हर बारिश में बढ़ जाती है संख्या

हर वर्षाकाल में भूस्खलन प्रभावित गांवों की संख्या बढ़ जाती है। सभी प्रभावित गांवों की रिपोर्ट शासन को भेजी गई है। चमोली जिले में 12 गांव भूस्खलन की जद में हैं। इसके अलावा जोशीमठ शहर भी भूधंसाव से जूझ रहा है। आपदाग्रस्त रैणी गांव के 30 से अधिक परिवारों को विस्थापित किया जाना है, लेकिन भूमि के अभाव में विस्थापन की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही। इसी तरह मठ, छिनका, पगनों, हरमनी पोल, झलिया, जोसियारा, देवग्राम, कनोल, सूना कुल्हाड़ी के ग्रामीण भी विस्थापन के लिए इंतजार कर रहे हैं।

आपदा से दहल गया है जोशीमठ

जोशीमठ में भूस्खलन से 800 से अधिक भवन प्रभावित हैं। यहां आपदा को छह माह बीत चुके हैं। अब वर्षाकाल में भू-धंसाव बढ़ गया है। लेकिन, आपदा प्रभावित परिवारों के विस्थापन के लिए सुरक्षित भूमि चयनित नहीं हो पाई है। वर्ष 2013 में केदारपुरी में आई आपदा के बाद रुद्रप्रयाग में प्रभावित क्षेत्रों का भूगर्भीय सर्वेक्षण किया गया था।

विस्थापन नीति-2011 में इतने घरों का था जिक्र

तब राजस्व विभाग की रिपोर्ट और विस्थापन नीति-2011 के आधार पर जिले में 23 गांवों के 472 परिवारों को विस्थापन के लिए चिह्नित किया गया। इनमें 18 गांवों के 210 परिवार विस्थापन के योग्य पाए गए, लेकिन अब तक जिला प्रशासन 136 परिवारों को ही विस्थापित कर पाया है। शेष 64 परिवार इंतजार कर रहे हैं।

पौड़ी के पुलिंडा गांव के लोगों को है विस्थापन का इंतजार

पौड़ी के पुलिंडा गांव में भूकटाव के कारण पांच परिवार खतरे की जद में हैं। गांव के ग्रामीण वर्ष 2004 से विस्थापन की मांग कर रहे हैं। हाल ही में जिलाधिकारी डा. आशीष चौहान ने गांव का स्थलीय निरीक्षण किया तो ग्रामीणों ने विस्थापन की मांग दोहराई। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी दीपेश काला ने बताया कि फिलहाल गांव के पांच परिवार ही विस्थापन की श्रेणी में है। लेकिन, पूरे गांव को विस्थापित करने की मांग की जा रही है। इसकी रिपोर्ट शासन को भी भेजी गई है।

राहत राशि मिली, फिर भी खतरे में रह रहे

टिहरी के 16 गांवों में 455 परिवार भूस्खलन के खौफ में जी रहे हैं। हालांकि, एडीएम केके मिश्र का कहना है कि प्रशासन सभी 455 परिवारों को प्रति परिवार 4.25 लाख रुपये सुरक्षित स्थान पर मकान बनाने के लिए दे चुका है। बावजूद इसके इन गांवों में 2500 की आबादी खतरे के बीच रह रही है।