Saurabh Bahuguna : 2 साल में सौरभ बहगुणा कैसे बने “मंत्री नंबर 1”

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Saurabh Bahuguna एक तरफ जहाँ उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार और मौजूदा सदस्यों के फेरबदल की गहमागहमी तेज़ हो रही है ऐसे में मुख्यमंत्री धामी उन मंत्रियों को बडे विभागों की ज़िमेदारी दे सकते हैं जिनका मंत्री के रूप में परफॉर्मेंस शानदार रही है और जिन्होंने प्रदेश में सरकार की योजनाओं को सफल बनाते हुए न सिर्फ ब्यूरोक्रेसी से बेहतर तालमेल बनाया बल्कि एक मंत्री के रूप में संजीदगी से ज़िम्मेदारी निभायी है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इन कामयाब मंत्रियों में युवा कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा पहले पायदान पर खुद को साबित कर रहे हैं। वहीँ दो मंत्री ऐसे भी हैं जिन्हे बड़े महकमे दिए जा सकते हैं।

मंत्री सौरभ के दो साल के कार्यकाल ने दी बड़ी पहचान Saurabh Bahuguna

पहाड़ की राजनीती महज सत्तर विधानसभाओं में सिमटी है तरह जिलों की सवा करोड़ आबादी में अपनी अलग छवि और लोकप्रिय पहचान बनाने के लिए गैरसैण से देहरादून तक दौड़ लगानी पड़ती है। वहीँ जब आपदा , बाढ़ और चार धाम यात्रा जैसी बड़ी चुनौतियाँ सामने हों तो राज्य सरकार और उसके सहयोगी मंत्रियों की भूमिका अहम हो जाती है। ऐसे में बीते दो साल के कामकाज को देखें तो पशुपालन रोज़गार और गन्ना मंत्री के रूप में पहाड़ के गांधी के रूप में लोकप्रिय दिग्गज बहुगुणा के सियासी वारिस के रूप में बेहतरीन ज़िम्मेदारी निभा रहे मंत्री सौरभ बहुगुणा अन्य मंत्रियों से बेहद आगे नज़र आ रहे हैं। विभागीय अधिकारीयों के संग तालमेल बनाकर सहजता से योजनाओं को आगे बढ़ाना हो , कैबिनेट के फैसलों को तेज़ी से अमल कराना हो या ब्यूरोक्रेसी को सौम्य और विनम्र व्यवहार से कायल करना हो ये खूबियां मंत्री बहुगुणा को विरासत में मिली है।
केदारनाथ में खच्चर संचालकों को राहत देना हो , पशुओं को बेहतरीन और पर्याप्त चारा मुहैया कराना हो या पशुपालकों को स्वरोज़गार की योजनाओं से जोड़कर आत्मनर्भर बनाना हो धामी कैबिनेट के इस युवा मंत्री ने बेहद कम समय में मोदी धामी विजन को साकार करने में कामयाबी हासिल की है। यही वजह है की अल्मोड़ा , बागेश्वर , पिथौरागढ़ , चम्पावत , नैनीताल उत्तरकाशी जैसे जिलों के दुर्गम गाँव की महिलाओं को दुग्ध और पशुपालन के ज़रिये आज आजीविका मिल रही है और पलायन पर भी रोक लगी है। जानकार बताते हैं कि एक मंत्री के रूप में सिर्फ देहरादून तक सीमित न रह कर मंत्री सौरभ पुरे प्रदेश का दायरा करते हैं स्थानीय नागरिकों के बीच पहुँच कर फीडबैक लेते हैं जिसका असर विभाग और अधिकारीयों पर पड़ता है और फायदा आम जनता को होता है।

रिपोर्ट कार्ड में टॉप करते दिख रहे मंत्री सौरभ बहुगुणा

बीते दिनों जब प्रदेश में बाढ़ और आपदा के हालात बने तो सीएम धामी और मंत्री सौरभ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचे और पीड़ितों के दर्द को बांटा , राहत बचाव कार्यों को तेज़ करने के निर्देश दिए। यही नहीं यात्रा मार्ग पर फंसे खच्चरों के लिए हवाई मार्ग से चारा भिजवाया। बात दुग्ध उत्पादन की करें तो उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि आँचल ब्रांड को नयी ऊंचाई पर पहुंचाना अहम रहा है। दुग्ध उत्पादकों को समय से भुगतान और उन्हें समूहों के ज़रिये सुविधाएं दी जा रही हैं तो वहीँ आँचल के आउटलेट्स खोले गए जहाँ आँचल ब्रांड की आइसक्रीम , घी , दूध , और अन्य उत्पादों को बिक्री के लिए प्लेटफॉर्म दिया गया है। रोज़गार के क्षेत्र में युवाओं को स्वरोज़गार से जोड़ने की योजनाओं पर सीधे मॉनिटरिंग करते हुए खुद मंत्री सौरभ बहुगुणा आईटीआई , पॉलिटेक्निक , और अन्य संस्थानों का दौरा कर फीडबैक ले रहे हैं। वहीँ गन्ना किसानों के भुगतान और चीनी मीलों के आधुनिकीकरण पर भी बेहतरीन नतीजे दे कर मंत्री बहुगुणा ने धामी सरकार में अपनी उपयोगिता और काबिलियत को साबित किया है।

राजनैतिक समझ और चुनावी प्रबंधन में दिखी महारत

बीते दो साल के कार्यकाल के दौरान जब जब मुख्यमंत्री धामी ने अपने कैबिनेट के युवा साथी सौरभ बहुगुणा पर भरोसा जताते हुए बड़ी ज़िम्मेदारी दी है उसको मेरिट पर कामयाबी के साथ मंत्री बहुगुणा ने पूरा किया है। बात चाहे खुद सीएम धामी के चम्पावत उपचुनाव की रही हो , या बागेश्वर उपचुनाव की या फिर लोकसभा चुनाव मे मिली दो लोकसभा सीट को जिताने की ज़िम्मेदारी की हर बार एक शानदार जीत के साथ मंत्री सौरभ ने अपने चुनावी प्रबंधन और जनता से जुड़ने की कला में महारत का नायाब उदाहरण पेश किया है। यही वजह है कि दिल्ली में पार्टी आलाकमान से लेकर उत्तराखंड प्रदेश पार्टी संगठन में मंत्री सौरभ बहुगुणा को जो लोकप्रियता मिल रही है उस रेस में बाकी मंत्री काफी पिछड़ते नज़र आ रहे हैं। पार्टी के बड़े नेताओं का भी यही मानना है कि छोटे से राज्य में मंत्रियो , विधायकों और नेताओं को अगर लम्बी सियासी पारी खेलनी है तो उसे अपने अपने क्षेत्र की बजाय पूरे प्रदेश की तरक्की के बारे में काम करना होगा और इस मामले में दूसरे मंत्रियों और विधायकों को सितारगंज के इस युवा सितारे से सकारात्मक और जन सरोकार से जुडी राजनीती सीखने में हिचकना नहीं चाहिए।