लक्सर में बाढ़ आफत से जूझ रहे लोग, मदद व राहत को लेकर शासन-प्रशासन के दावे हवाई; नुकसान के सर्वे में गड़बड़ी
Luxor Flood बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे लक्सर क्षेत्र में मदद एवं राहत को लेकर शासन-प्रशासन के दावे हवाई साबित हो रहे हैं। जरूरतमंदों के फोन करने पर अधिकारी या तो फोन काल रिसीव नहीं कर रहे हैं अथवा उन्हें इधर उधर की बातें कर टाल रहे हैं। वहीं बाढ़ के कारण घरों व दुकानों को हुए नुकसान का सही आकलन नहीं किए जाने का आरोप हैं।
Luxor Flood: बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे लक्सर क्षेत्र में मदद एवं राहत को लेकर शासन-प्रशासन के दावे हवाई साबित हो रहे हैं। जरूरतमंदों के फोन करने पर अधिकारी या तो फोन काल रिसीव नहीं कर रहे हैं अथवा उन्हें इधर उधर की बातें कर टाल रहे हैं। वहीं, बाढ़ के कारण घरों व दुकानों को हुए नुकसान का सही आकलन नहीं किए जाने का आरोप भी व्यापारी व स्थानीय जन लगा रहे हैं।
लक्सर में बाढ़ से मची तबाही
11 जुलाई को सोलानी नदी का तटबंध टूटने तथा गंगा व पथरी नदी के उफान पर आने पर बाढ़ के पानी ने क्षेत्र में जमकर तबाही मचाई थी। लोगों के घरों व दुकानों में घुसे पानी से जहां सभी सामान बर्बाद हो गया वही फसलें पूरी तरह तबाह हो गई। खेतों एवं निचले इलाकों में अभी भी जलभराव की स्थिति है।
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शासन-प्रशासन की ओर से लोगों की मदद और राहत कार्यों को लेकर तमाम तरह के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन यह दावे हवाई साबित हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि अधिकांश कर्मचारी व अधिकारियों के मोबाइल या तो स्विच आफ हैं, अथवा काल रिसीव नहीं हो रही है। मिलने पर उन्हें इधर उधर की बातें बनाकर टाला जा रहा है।
नुकसान के सर्वे में गड़बड़ी के आरोप
क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि बाढ़ से हुए नुकसान के किए जा रहे सर्वे में भी लीपापोती की जा रही है। बाढ़ का पानी भरने के दो सप्ताह बाद जिन घरों व दुकानों में हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है। क्या दो सप्ताह तक वहां यथास्थिति रह सकती है, जिससे बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन बहुत कम करके आंका जा रहा है। जिसका सबसे अधिक खामियाजा निर्धन एवं मध्यम वर्गीय परिवारों को भुगतना होगा।