शिक्षकों के विरोध के बाद प्रधानाचार्य भर्ती परीक्षा से पीछे हटी सरकार, शिक्षा सचिव ने आयोग को भेजा पत्र

Spread the love

Uttarakhand News उत्तराखंड सरकार ने प्रधानाचार्यों के 50 प्रतिशत रिक्त पदों के लिए भर्ती परीक्षा स्थगित कर दी है। शिक्षकों के विरोध के बाद सरकार ने यह फैसला लिया है। शिक्षक राजकीय इंटर कालेजों में प्रधानाचार्यों के पदों पर सीधी भर्ती का विरोध कर रहे थे। अब सरकार नियमावली में संशोधन कर पदोन्नति के लिए विभागीय परीक्षा को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगी।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रधानाचार्यों के 50 प्रतिशत रिक्त पदों के लिए भर्ती परीक्षा से सरकार पीछे हट गई है। 29 सितंबर को राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से भर्ती परीक्षा स्थगित करने के लिए शिक्षा सचिव रविनाथ रामन ने आयोग को पत्र लिखा है। पत्र में प्रधानाचार्य पदों पर भर्ती से संबंधित नियमावली में संशोधन करने का हवाला दिया गया है।

राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड के आह्वान पर शिक्षक राजकीय इंटर कालेजों में प्रधानाचार्यों के पदों पर सीधी भर्ती के विरोध में आंदोलनरत हैं। राज्य लोक सेवा आयोग को प्रधानाचार्यों के 692 पदों पर भर्ती के लिए अधियाचन भेजा गया था। आयोग ने 29 सितंबर को परीक्षा निर्धारित की।

विरोध के बाद राज्य सरकार के रवैये में आया परिवर्तन

शिक्षकों के रोष को देखते हुए सरकार और शिक्षा विभाग के रवैये में परिवर्तन आया है। गत छह सितंबर को शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत की अध्यक्षता में शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में भर्ती परीक्षा स्थगित करने और प्रधानाचार्य पद से संबंधित नियमावली में संशोधन करने पर सहमति बनी थी।

शिक्षा सचिव रविनाथ रामन ने मंगलवार को आयोग के सचिव को पत्र भेजकर भर्ती परीक्षा स्थगित करने का अनुरोध किया है। पत्र में उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य शैक्षिक (अध्यापन संवर्ग) राजपत्रित सेवा नियमावली-2022 में संशोधन का निर्णय लिया गया है, ताकि 50 प्रतिशत पदों पर पदोन्नति के लिए विभागीय परीक्षा को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।