हिमाचल में आई त्रासदी का उत्तराखंड से है खास कनेक्शन, 20 साल पहले ही कर दिया था आगाह, PMO को लिखी थी चिट्ठी
Uttarakhand News हिमाचल में मानसून के दौरान आपदा से हुई तबाही को दो दशक पहले ही भांप दिया गया था। वर्ष 2000 में पर्यावरण विज्ञानियों ने इससे बचने के सुझाव भी दिए थे लेकिन इसे नजरअंदाज किया गया। पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण के दौरान वर्ष 2000 में उनके नेतृत्व में हिमाचल की व्यास घाटी में गए शिष्टमंडल ने सर्वेक्षण किया था।
हिमाचल में मानसून के दौरान आपदा से हुई तबाही को दो दशक पहले ही भांप दिया गया था। वर्ष 2000 में पर्यावरण विज्ञानियों ने इससे बचने के सुझाव भी दिए थे, लेकिन इसे नजरअंदाज किया गया।
पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण के दौरान वर्ष 2000 में उनके नेतृत्व में हिमाचल की व्यास घाटी में गए शिष्टमंडल ने सर्वेक्षण किया था। उन्होंने कहा कि तभी ब्यास नदी में होने वाले खतरों को भांपते हुए पीएमओ कार्यालय को पत्र के माध्यम से अवगत करा दिया गया था। तथा इसके बचाव व संरक्षण की सिफारिश की गई थी।
व्यास नदी के खतरे को पहले ही कर दिया गया था आगाह
उन्होंने कहा कि पर्यावरण को पहुंचाई जा रही क्षति के संदर्भ में तत्कालीन प्रधानमंत्री कार्यालय के संयुक्त सचिव अशोक साकिया को पत्र भेजकर व्यास नदी पर बढ़ते खतरे के प्रभाव को कम करने के लिए क्षेत्र के व्यापक अध्ययन का सुझाव दिया था।
व्यास नदी के इर्द-गिर्द पौधारोपण करने के साथ ही क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से सड़कों का निर्माण व विकास करने का सुझाव भी दिया था। यह भी कहा था कि जहां नदी में उथलपुथल मच रही है वहां तटबंध बनाए जाएं।
उत्तराखंड के विकास के लिए जरूरी था अध्ययन
पर्यावरणविद भट्ट ने कहा कि इन सुझावों को अमल लाया जाता तो हिमाचल प्रदेश को बाढ़, भूस्खलन की विभिषिका को कम किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुआ था तब यह अध्ययन उत्तराखंड के विकास के परिपेक्ष में भी जरूरी था।
यही कारण है कि उनके साथ पर्यावरण कार्यकर्ता, महिला मंगल दल से जुड़ी महिलाएं भी हिमाचल के विकास के ढांचे व पर्यावरण के सामंजस्य को देखने गई थी, लेकिन ब्यास नदी घाटी में पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी अवगत कराया गया था।