IIM Rohtak का सुझाव: Chardham Yatra 2024 के पहले माह में वीआइपी दर्शन से रखें दूरी, यात्रा पंजीकरण को बनाएं सरल
Chardham Yatra 2024 आइआइएम (इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट) रोहतक द्वारा चारधाम की धारण क्षमता को लेकर तैयार की गई अध्ययन रिपोर्ट में कई सुझाव दिए गए हैं। कहा है कि चारधाम यात्रा में बेहतर प्रबंधन के दृष्टिगत यात्रा शुरू होने पर पहले माह में वीआइपी दर्शन से दूरी रखी जानी चाहिए। मुख्य सचिव ने आइआइएम रोहतक की टीम से इस अध्ययन रिपोर्ट से जुड़े विविध पहलुओं पर विमर्श किया।
राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून। Chardham Yatra 2024: चारधाम यात्रा में बेहतर प्रबंधन के दृष्टिगत यात्रा शुरू होने पर पहले माह में वीआइपी दर्शन से दूरी रखी जानी चाहिए। इसके साथ ही यात्रा पंजीकरण को सरल बनाने के लिए आरएफआइडी (रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) कार्ड और आधार पर केंद्रित व्यवस्था की जानी चाहिए।
आइआइएम (इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट) रोहतक द्वारा चारधाम की धारण क्षमता को लेकर तैयार की गई अध्ययन रिपोर्ट में ये सुझाव दिए गए हैं। मंगलवार को मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इसका प्रस्तुतीकरण दिया गया।
इस अवसर पर मुख्य सचिव ने अधिकारियों को इस रिपोर्ट की समीक्षा कर सुगम व सुरक्षित यात्रा की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने आइआइएम रोहतक के निदेशक व उनकी टीम से इस अध्ययन रिपोर्ट से जुड़े विविध पहलुओं पर विमर्श किया।
धामों की धारण क्षमता के सटीक आकलन का प्रयास किया जाए
मुख्य सचिव ने जोर दिया कि चारधाम की सुगम व सुरक्षित यात्रा के लिए बनने वाली कार्ययोजना के लिए चारों धामों की धारण क्षमता के सटीक आकलन का प्रयास किया जाए। इसमें श्रद्धालुओं के लिए चिकित्सा व आपातकालीन सेवाओं की पुख्ता व्यवस्था, यात्रा के प्रभावी प्रबंधन एवं मानीटरिंग और स्थानीय पारिस्थितिकी को संरक्षित रखते हुए आर्थिकी मजबूत करने जैसे विषयों का विशेष रूप से समावेश होना चाहिए।
मुख्य सचिव ने कार्ययोजना में सड़कों की स्थिति में सुधार, ट्रेफिक जाम, कपाट खुलने के बाद धामों में प्रथम 40 दिन में भीड़ प्रबंधन की समस्या के समाधान और श्रद्धालुओं के फीडबैक की व्यवस्था को प्रमुखता से रखने के निर्देश दिए। बैठक में आरएफआइडी व आधार केंद्रित पंजीकरण व्यवस्था पर भी चर्चा हुई।
साथ ही चारधाम यात्रियों की सुविधा के दृष्टिगत एसएमएस के जरिये मौसम के पूर्वानुमान की व्यवस्था लागू करने, यात्रा मार्गों पर पीपीपी माडल या सीएसआर के तहत चिकित्सा सुविधा प्रदान करने, धामों में भीड़ प्रबंधन के लिए समूह में दर्शन व्यवस्था लागू करने, पार्किंग क्षमता की समीक्षा जैसे विषयों पर विमर्श किया गया। बैठक में अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
यह आंकी गई है धारण क्षमता
अध्ययन रिपोर्ट में चारों धामों में यात्रियों के प्रवाह के आधार पर धारण क्षमता का आकलन किया गया है। यमुनोत्री धाम में 12232, गंगोत्री में 9868, केदारनाथ में 23822 और बदरीनाथ में 17985 यात्रियों की धारण क्षमता आंकलित की गई है। इनमें सभी धामों में ठहरने व चलायमान यात्री शामिल हैं। भीड़ प्रबंधन के लिए पंजीकरण रिपोर्ट में भीड़ प्रबंधन को धामों में दर्शन के लिए पंजीकरण के दृष्टिगत अन्य स्थानों को भी शामिल करने पर जोर दिया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यमुनोत्री धाम के लिए श्रीराम मंदिर, सूर्य कुंड व गर्भगृह, गंगोत्री के लिए पांडव गुफा व गर्भगृह, बदरीनाथ के लिए चरण पादुका, तप्त कुंड, ब्रह्म कपाल व गर्भगृह और केदारनाथ के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी, भैरवनाथ मंदिर व गर्भगृह के लिए पंजीकरण होने चाहिए। रिपोर्ट में चारधामों के कपाट खुलने के अवसर पर सीमित संख्या रखे जाने पर भी जोर दिया गया है।