गणेश चतुर्थी आज- शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, सामग्री और मंत्र के बारे मे जानिए आचार्य शुभाष जी से

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प्रथम पूज्य श्री गणेशजी हैं सर्वप्रथम उन्हीं की पूजा की जाती है, बाद मे अन्य देवताओं की पूजा की जाती है। किसी भी कर्मकांड में श्रीगणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है क्योंकि गणेशजी विघ्नहर्ता हैं और आने वाले सभी विघ्नों को दूर कर देते हैं। श्रीगणेश लोक मंगल के देवता हैं, लोक मंगल उनका उद्देश्य है परंतु जहां भी अमंगल होता है, उसे दूर करने के लिए श्री गणेश अग्रणी रहते हैं। गणेश जी रिद्धि और सिद्धि के स्वामी हैं। इसलिए उनकी कृपा से संपदा और समृद्धि का कभी अभाव नहीं रहता है। विघ्नहर्ता गणेशजी की पूजा विधि जाने जाने माने आचार्य शुभाष जी से

आचार्य शुभाष जी

श्रीगणेश को जरूर चढ़ाएं दूर्वा और मोदक
श्री गणेशजी को दूर्वा और मोदक अत्यंत प्रिय है। गणपति के आशीर्वाद से व्यक्ति का बौद्धिक विकास होता है। इसीलिए भक्त उनका आशीर्वाद पाने के लिए सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा से आराधना करते हैं। गणपति की पूजा करते समय छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखते हैं, ताकि उनसे कोई गलती ना हो जाएं। लेकिन अक्सर जानकारी न होने के अभाव में वे भगवान गणेशजी को ये कुछ चीजें चढ़ाना भूल जाते हैं। पहला मोदक का भोग और दूसरा दूर्वा (एक प्रकार की घास) और तीसरा घी। ये तीनों ही गणपति को बेहद प्रिय हैं। इसीलिए जो भी व्यक्ति पूरी आस्था से गणपति की पूजा में ये चीजें चढ़ाता है तो उस व्यक्ति को गणेशजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

गणपति को प्रसाद में मोदक क्यों ?
रिद्धि सिद्धि के देवता गणपति के पूजन में प्रसाद के रूप में खासतौर पर मोदक का भोग जरूर लगाया जाता है। कहा जाता है कि मोदक गणपति को बहुत पसंद है। लेकिन इसके पीछे पौराणिक मान्यताएं छिपी हुई हैं। पुराणों के अनुसार गणपति और परशुराम के बीच युद्ध चल रहा था, उस दौरान गणपति का एक दाँत टूट गया। इसके चलते उन्हें खाने में काफी परेशानी होने लगी। उनके कष्ट को देखते हुए कुछ ऐसे पकवान बनाए गए जिसे खाने में आसानी हो और उससे दाँतों में दर्द भी ना हो। उन्हीं पकवानों में से एक मोदक था। मोदक खाने में काफी मुलायम होता है। माना जाता है कि श्री गणेश को मोदक बहुत पसंद आया था और तभी से वो उनका पसंदीदा मिष्ठान बन गया था।

गणेश चतुर्थी के दिन निषेध है चंद्र दर्शन
गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन नहीं करना चाहिए, नहीं तो व्यक्ति के ऊपर बिना किसी वजह से व्यक्ति पर कोई झूठा आरोप लगता है। पुराणों के अनुसार एक बार भगवान कृष्ण ने भी गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन किया था, जिसकी वजह से उन्हें भी मिथ्या का शिकार होना पड़ा था। गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन को लेकर एक और पौराणिक मत है जिसके अनुसार इस चतुर्थी के दिन ही भगवान गणेश ने चंद्रमा को श्राप दिया था। इस वजह से ही चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन को निषेध माना गया।

गणेश चतुर्थी 2021 शुभ मुहूर्त 
गणेश पूजन के लिए मध्याह्न मुहूर्त -दोपहर 11 बजकर 02 मिनट से लेकर 01 बजकर 32 मिनट तक
अवधि: 2 घंटे 29 मिनट

गणेश चतुर्थी व्रत व पूजन विधि

  1.  ब्रत करने वाले को चाहिए कि प्रातः स्नान करने के बाद सोने, तांबे अथवा मिट्टी की गणेश प्रतिमा लें।
  2.  चौकी में लाल आसन के ऊपर गणेश जी को विराजमान करें।
  3.  गणेश जी को सिंदूर व दूर्वा अर्पित करके 11 लडडुओं का भोग लगाएं। इनमें से 1 लड्डू गणेश जी को अर्पित करके शेष लड्डू ब्राह्मणों को दें।
  4.  सांयकाल के समय गणेश जी का पूजन करना चाहिए। गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश चालीसा व आरती पढ़ने के बाद चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।
  5.  इस दिन गणेश जी के सिद्धिविनायक रूप की पूजा व व्रत किया जाता है।
  6.  ध्यान रहे कि तुलसी के पत्ते (तुलसी पत्र) गणेश पूजा में इस्तेमाल नहीं हों। तुलसी को छोड़कर बाकी सब पुष्प गणेश जी को प्रिय हैं।
  7.  गणेश पूजन में गणेश जी की एक परिक्रमा करने का विधान है।