Uttarakhand News: यहां जर्जर ट्रॉलियों में मंजिल और मौत के बीच झूलती है जिंदगी, 10 सालों में हुए दर्जनों हादसे

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जब तकनीक हिमालय की चोटियों को भी बौना साबित कर चुकी है उस दौर में उत्तरकाशी के 15 गांवों की करीब ढाई हजार की आबादी आवाजाही के लिए जर्जर ट्रॉलियों में झूलने को मजबूर है। सीमांत जनपद के इन गांवों में नदी पार करने मुख्य मार्ग तक पहुंचने और एक से दूसरे गांव में आवाजाही के लिए 11 ट्रॉली संचालित हो रही हैं। इनमें 10 ट्रॉली मानव चलित हैं।

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। जब तकनीक हिमालय की चोटियों को भी बौना साबित कर चुकी है, उस दौर में उत्तरकाशी के 15 गांवों की करीब ढाई हजार की आबादी आवाजाही के लिए जर्जर ट्रॉलियों में झूलने को मजबूर है। सीमांत जनपद के इन गांवों में नदी पार करने, मुख्य मार्ग तक पहुंचने और एक से दूसरे गांव में आवाजाही के लिए 11 ट्रॉली संचालित हो रही हैं। इनमें 10 ट्रॉली मानव चलित हैं, जबकि एक विद्युत चलित।

पिछले 10 वर्ष में इन ट्रॉलियों के गिरने से दर्जनों हादसे हो चुके हैं, लेकिन सरकारी तंत्र बेपरवाह बना हुआ है। इस जोखिम का स्थानी समाधान तो दूर की बात, ट्रॉलियों की देखरेख के लिए पुख्ता व्यवस्था तक नहीं की जा रही। मानव चलित ट्रॉली के संचालन को कर्मचारी भी तैनात नहीं हैं। उत्तरकाशी में अक्सर हादसों की वजह बन रही जर्जर ट्रॉलियां सरकारी तंत्र की अनदेखी के साथ सुदूरवर्ती क्षेत्रों में विकास की सच्ची तस्वीर भी बयां कर रही हैं