Uttarakhand News: नैनीताल में अवैध निर्माण से बन रहे नए डेंजर जोन, 1989 से अब तक एक हजार निर्माणों का चालान

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उत्तराखंड की सरोवर नगरी में अवैध निर्माण से नए डेंजर जोन बन रहे हैं। चार्टन लाज क्षेत्र में शनिवार को भरभराकर गिरे भवन और भूस्खलन के बाद अब प्रशासन की नजर बिल्डरों पर है। जो जिला विकास प्राधिकरण के दिशा निर्देशों को ताक पर रखकर संवेदनशील पहाड़ियों पर निर्माण कर रहे हैं। यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है।

 उत्तराखंड की सरोवर नगरी में अवैध निर्माण से नए डेंजर जोन बन रहे हैं। चार्टन लाज क्षेत्र में शनिवार को भरभराकर गिरे भवन और भूस्खलन के बाद अब प्रशासन की नजर बिल्डरों पर है। जो जिला विकास प्राधिकरण के दिशा निर्देशों को ताक पर रखकर संवेदनशील पहाड़ियों पर निर्माण कर रहे हैं। यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है।

स्थिति यह है कि चार्टन लाज क्षेत्र के अलावा पापुलर कंपाउंड, सात नंबर सहित आसपास के क्षेत्रों में प्राधिकरण ने पिछले 33 सालों में एक हजार से अधिक अवैध निर्माण के चालान किए। साथ ही तीन सौ से अधिक भवनों को ध्वस्त कर दिया गया। शेष अवैध निर्माणों में अधिकांश अब या तो वैध हो चुके हैं या प्राधिकरण ने कार्रवाई की फाइल बंद कर दी है। सरोवर नगरी में 1990 से प्रतिबंधित, संवेदनशील व ग्रीन बेल्ट क्षेत्रों में निर्माण का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह अभी भी पूरी तरह थमा नहीं है।

भूगर्भीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील शहर में ब्रिटिशकाल में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ी तो निर्माण सहित शहर को सुरक्षित व खूबसूरत बनाए रखने के लिए सख्त नियम बनाने के साथ ही अनुपालन सुनिश्चित कराया। शहर के चारों ओर नाले-नालियां बनाई। पहाड़ियों से गिरने वाले नालों से बरसात का पानी झील सहित अन्य नालों में ऐसे जोड़ा गया। यही वजह है कि आज भी नैनीताल का ड्रेनेज सिस्टम पूरे भारत के पहाड़ी शहरों के लिए एक माडल है।

एक हजार से अधिक अवैध निर्माणों के चालान

जिला विकास प्राधिकरण के सचिव पंकज उपाध्याय के अनुसार, 1989 से अब तक चार्टन लाज से ही सात नंबर तक के इलाके में प्राधिकरण ने एक हजार से अधिक अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की। पिछले दो साल में ही शहर में करीब तीन सौ अवैध निर्माण ध्वस्त किए गए। हाल ही में मेट्रोपोल सहित अन्य इलाकों से बड़े पैमाने पर अतिक्रमण ध्वस्त किए गए। प्राधिकरण की कोशिश हर हाल में अवैध निर्माण रोकना है।

प्राधिकरण की दरियादिली से बढ़ा संकट

सरोवर नगरी में हालिया वर्ष में जिला विकास प्राधिकरण ने अवैध निर्माण पर बेहद सख्त कार्रवाई की, लेकिन पिछले तीन दशक से प्राधिकरण के अफसरों, गश्ती दलों की दरियादिली से अवैध निर्माणों पर चालान व सीलिंग तक कार्रवाई सीमित रही।

ऐसे में अवैध भवन भी वैध श्रेणी में आ गए। नैनीताल के ग्रीन बेल्ट में निर्माण प्रतिबंधित है, लेकिन इस पर अंकुश नहीं लग पाया। अवैध निर्माण के विरुद्ध लगातार आवाज बुलंद कर रहे पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत के अनुसार, जिन अधिकारियों के कार्यकाल में नैनीताल में निर्माण की बेरोकटोक अनुमति दी गई, उन अधिकारियों को कठघरे में खड़ा किया जाना चाहिए।