Kotdwar: टूटगदेरा पुल टूटा तो पहाड़ों से कटेगा कोटद्वार का संपर्क, क्षतिग्रस्त हिस्से का मरम्मत कार्य शुरू

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कोटद्वार। बदहाली के दौर से गुजर रहे नजीबाबाद-बुआखाल राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य के पंद्रह किलोमीटर हिस्से से लिए यह वर्षा ऋतु काल साबित हुई है। पूर्व से ही खतरनाक नजर आ रहे राजमार्ग के इस हिस्से इस वर्षा काल में सफर पूर्व से कहीं अधिक खतरनाक हो गया है। राजमार्ग में जहां तीन पुल खतरे की जद में हैं।

कोटद्वार। बदहाली के दौर से गुजर रहे नजीबाबाद-बुआखाल राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य के पंद्रह किमी तक के हिस्से के लिए यह वर्षा ऋतु काल साबित हुई है। पहले से ही खतरनाक नजर आ रहे राजमार्ग के इस हिस्से इस वर्षा काल में सफर पहले से कहीं ज्यादा खतरनाक हो गया है।

राजमार्ग में जहां तीन पुल खतरे की जद में हैं, वहीं टूटगदेरा स्थित पुल के टूटने पर कोटद्वार का पर्वतीय क्षेत्रों से संपर्क कटना तय है।

खतरे में तीन पुल

नजीबाबाद-बुआखाल राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोटद्वार-दुगड्डा के मध्य सफर दिन-प्रतिदिन खतरनाक हो रहा है। दरअसल, कोटद्वार से आमसौड़ के मध्य जहां तीन नए डेंजर जोर बन गए हैं, वहीं आमसौड़ से दुगड्डा के मध्य भी दुर्गा देवी मंदिर व ऐता गांव के पास सड़क में पहाड़ी से मलबा रहा है। बात पुलों की करें तो तीन पुल खतरे की जद में आ गए हैं।

एप्रोच रोड पर खतरा

कोटद्वार में गिवईं गदेरे पर स्थित पुल की एप्रोच रोड पर खतरा मंडरा रहा है। बीते मंगलवार को गिवईं गदेरे के उफान पर आने के कारण पुल की एप्रोच रोड का एक हिस्सा पानी के तेज बहाव के कारण कट गया। जिस कारण सड़क में गड्डा हो गया। हालांकि, विभाग की ओर से एप्रोच रोड को भरने की कवायद शुरू कर दी गई है। आमसौड़ के समीप एक पुलिया भी खतरे की जद में है।

पुलिया से रोका गया आवागमन

विभाग की ओर से इस पुलिया पर आवागमन रोक दिया गया है। सबसे खतरनाक स्थिति टूटगदेरा पर बने पुल की है। दशकों पूर्व पत्थरों से बने इस पुल का एक हिस्सा गदेरे के तेज बहाव के कारण क्षतिग्रस्त हो गया है। जबकि पुल के दूसरे छोर का हिस्सा भूस्खलन की चपेट में है।

कोटद्वार से पर्वतीय क्षेत्रों के लिए अहम है टूटगदेरा

ऐसे में यह पुल कब गदेरे की भेंट चढ़ जाए, कहा नहीं जा सकता। बताना जरूरी है कि कोटद्वार से पर्वतीय क्षेत्रों की ओर आवागमन के लिए टूटगदेरा की यह पुल बेहद अहम है। इस पुल के टूटने से कोटद्वार का पर्वतीय क्षेत्रों संपर्क कटना तय है।