Uttarakhand: आरएसएस के प्रचारक मदन दास देवी की अस्थियां हरिद्वार में हुई विसर्जित, CM धामी भी रहे मौजूद

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Uttarakhand राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता मदन दास देवी का 24 जुलाई की सुबह बेंगलुरु में निधन हो गया है। आज बुधवार को उनकी अस्थियां हरिद्वार में विसर्जित की गईं। अस्थि विसर्जन कार्यक्रम में खुद सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे। हरिद्वार के श्री कृष्ण कृपा धाम में आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक स्वर्गीय मदन दास देवी के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में सीएम धामी ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ प्रचारक मदन दास देवी की अस्थियां बुधवार को हरिद्वार में विसर्जित की गई। अस्थि विसर्जन कार्यक्रम में खुद सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे। सीएम धामी ने आरएसएस के इस दिग्गज नेता को विनम्र श्रद्धांजलि दी और उनके योगदान के लिए उनको नमन किया।

बुधवार को हरिद्वार के श्री कृष्ण कृपा धाम में आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक स्वर्गीय मदन दास देवी के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में सीएम धामी ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इस दौरान सीएम धामी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ प्रचारक मदन दास देवी के निधन पर शोक जताया और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान की सराहना की।

‘युवा शक्ति’ को ‘राष्ट्र शक्ति’ बनाने में अहम योगदान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक मदन दास देवी ने संघ के सह-सरकार्यवाह के रूप में अविस्मरणीय योगदान दिया। ‘युवा शक्ति’ को ‘राष्ट्र शक्ति’ बनाने में अपना संपूर्ण जीवन समर्पित करने वाले मदन दास देवी जी के चरणों में शत्-शत् नमन्।

देश के लिए अपूरणीय क्षति है

सीएम धामी ने कहा कि देश और विचारधारा के लिए जीने वाले ऐसे निष्ठावान स्वयंसेवक के हमें छोड़ कर चले जाना यह हमारे समाज के साथ पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से दिवंगत की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं।

अनुशासन के लिए जाने जाते थे मदन दास

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक व पूर्व सह सरकार्यवाह मदन दास देवी (Madan Das Devi) का 24 जुलाई को बेंगलुरु में निधन हो गया। उनकी उम्र 81 वर्ष थी। वे कठोर अनुशासन के लिए जाने जाते थे और कुशल संगठनकर्ता थे।अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को आगे बढ़ाने में मदन दास की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

विद्यार्थी जीवन में चार्टर्ड एकाउंटेंट में गोल्ड मेडलिस्ट होने के बाद भी उन्होंने राष्ट्र के लिए कार्य करने का निर्णय लिया। 1970 से 1992 तक वे अभाविप के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रहे। उस दौरान अभाविप की जड़ को मजबूत करने का काम किया।