Uttarakhand Weather: बदरीनाथ हाईवे 200 मीटर बहा, खुलने में लगेंगे दो-तीन दिन; पोखरी से होकर जाना पड़ेगा धाम
Uttarakhand Weather रविवार के बाद सोमवार को भी सुबह से धूप और बादलों के बीच उमस ने बेहाल किया। दून समेत आसपास के क्षेत्रों में आजकल धूप और बादलों की आंख-मिचौनी चल रही है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार देहरादून चमोली नैनीताल बागेश्वर चंपावत और ऊधमसिंह नगर में गरज-चमक के साथ तीव्र वर्षा होने को लेकर यलो अलर्ट जारी किया गया है।
Uttarakhand Weather: दून समेत आसपास के क्षेत्रों में आजकल धूप और बादलों की आंख-मिचौनी चल रही है। रविवार के बाद सोमवार को भी सुबह से धूप और बादलों के बीच उमस ने बेहाल किया। वहीं बदरीनाथ हाईवे अगले दो-तीन दिन के लिए बाधित हो गया है। मौसम विभाग ने आज भी दून में कहीं-कहीं भारी वर्षा होने की आशंका जताई है। तापमान सामान्य से अधिक बना रह सकता है।
केदारनाथ हाईवे कई जगह बंद
रुद्रप्रयाग जनपद में सोमवार सुबह तेज बारिश हुई। जिस कारण बदरीनाथ हाईवे सिरोबगड़ एवं जवाल्पा पैलेस के समीप अवरूद्ध हो गया है। केदारनाथ हाईवे भटवाड़ी सैण, चंद्रापुरी के समीप, बांसवाड़ा के पास यातायात हेतु अवरुद्ध चल रहा है। मार्ग खुलवाने की कार्यवाही गतिमान है। लगातार हो रही बारिश के चलते रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी का जलस्तर चेतावनी रेखा को पार कर गया है।
बदरीनाथ हाईवे 200 मीटर बहा, पोखरी से होकर जाना पड़ेगा
रविवार की रात हुई भारी वर्षा के कारण चमोली जिले में गौचर कमेड़ा के पास बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग लगभग करीब 200 मीटर बह गया है। इसके कारण मुख्य मार्ग से आवाजाही पूरी तरह से ठप हो गई है। मार्ग को जल्द से जल्द सुचारु करने के लिए सम्बंधित विभाग एवं कार्यदायी संस्था युद्धस्तर पर तत्परता से कार्य कर रहे हैं।
प्रशासन के अनुसार इस मार्ग को खोलने में दो-से तीन दिन तक का समय लगेगा। इसके चलते बदरीनाथ धाम को जाने वाले यात्रियों तथा वाहनों को फिलहाल रुद्रप्रयाग से अब पोखरी और वहां से कर्णप्रयाग जाना पड़ेगा। इसके चलते यात्रियों को 50 किमी अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ेगी।
वहीं गौचर भट्टनगर में भी रेलवे की पार्किंग का पुस्ता टूटने से साकेतनगर में पार्किंग में खड़े पांच वाहन मलबे में दब गए हैं। छिनका में बंद पड़ा बदरीनाथ हाईवे सभी प्रकार के वाहनों के लिए खुल गया है।
गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे भी बंद
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय सहित आसपास के क्षेत्रों में लगातार वर्षा हो रही है। वर्षा के कारण जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग डाबरकोट में शुक्रवार की रात से नहीं खुला है।
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग स्थान कल्याणी के पास मार्ग बोल्डर आने से मार्ग अवरूद्ध हुआ था। जिसे करीब 3:30 घंटे बाद खोल दिया गया।
गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग हेल्गु गाड़ और लालढांग के पास सुचारू हो गया है। इन दोनों स्थानों पर राजमार्ग सोमवार की सुबह के दौरान अवरुद्ध हुआ था। बीआरओ की टीम ने राजमार्ग को सुचारू किया।
गरज-चमक के साथ तीव्र वर्षा होने को लेकर यलो अलर्ट
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार सोमवार को प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में आंशिक बादल छाये रह सकते हैं।
देहरादून, चमोली, नैनीताल, बागेश्वर, चंपावत और ऊधमसिंह नगर में गरज-चमक के साथ तीव्र वर्षा होने को लेकर यलो अलर्ट जारी किया गया है। अन्य जिलों में भी कहीं-कहीं तेज बौछारों के एक से दो दौर हो सकते हैं।
पहाड़ों में भारी बारिश से उफान पर आए रपटे में बही सड़क
देहरादून जिले के सरखेत-तिमली मानसिंह क्षेत्रवासियों की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। उपेक्षा का शिकार क्षेत्रवासियों को बीते वर्ष आई आपदा के बाद से ही परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। करीब एक वर्ष से पक्की सड़क का इंतजार कर रहे क्षेत्रवासियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
रविवार को पहाड़ों में हुई भारी वर्षा के कारण उफान पर आए रपटे में कच्ची सड़क भी बह गए। इससे ग्रामीणों का संपर्क कट गया है और कई लोग घरों में कैद हो गए। क्षेत्रवासी सहमे हुए हैं और बारिश होने पर रातभर जागने को मजबूर हैं। सरखेत-तिमली मानसिंह ग्राम सभा की प्रधान नीलम देवी ने बताया कि बीते वर्ष अगस्त में क्षेत्र आपदा का शिकार हुआ था। जिसमें जन हानि के साथ ही संपदा का भारी नुकसान हुआ था।
क्षेत्र की सड़कें और खेत पानी में बह गए थे। कई माह बाद यहां बाढ़ सुरक्षा कार्य शुरू हुए और कच्ची सड़कें तैयार की गईं। हालांकि, कार्य बेहद सुस्त गति से चला और अभी तक क्षेत्र की स्थिति जस की तस बनी हुई है। ऐसे में रविवार को मालदेवता नदी के आसपास के रपटे और गदेरे उफान पर आ गए। जिससे लाखों की लागत से तैयार की गई कच्ची सड़क और बाढ़ सुरक्षा के इंतजाम बह गए।
इसके साथ ही खेतों और घरों को भी नुकसान पहुंचा। ग्राम प्रधान ने बताया कि उन्होंने प्रशासन को भी नुकसान की सूचना दी है। हालांकि, बीते वर्ष की आपदा के जख्म भी नहीं भरे कि इस वर्ष भी मानसून क्षेत्रवासियों की आफत बढ़ा रहा है।